रुड़की में निर्जला एकादशी के अवसर पर जगह जगह पिलाया गया लोगो को छबील, जैसा की सभी को ज्ञात है आज पूरे भारतवर्ष में निर्जला एकादशी का पर्व धूम धाम से मनाया जा रहा है । जहां लोग एवम समाजसेवी संगठन जगह-जगह निर्जला एकादशी के शुभ अवसर पर लोगों में शर्बत का वितरण कर एकादशी का पर्व मना रहे हैं, उसी क्रम में बीएसएम इंटर कॉलेज के निकट व्यापारियों ने भी अपने प्रतिष्ठान के सामने लोगों को छबील पिलाकर एकादशी का पर्व धूमधाम से मनाया। छबील का वितरण करने में, रजनीश शर्मा, प्रवीण शर्मा ,राजन यादव ,मोनू भाई राहुल ,सुनील एंबुलेंस ,संजय नटराज ,गुफरान ,राजीव रस्तोगी दीपाली डेरीआदि लोग उपस्थित रहे।
जानिए क्या है निर्जला एकादशी का महत्व और क्यों बनाई जाती है,
हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष में कुल 24 एकादशी व्रत रखा जाता है। यह व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन माना गया है। साल 2022 में निर्जला एकादशी व्रत 11 जून को रखा जाएगा। हर माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष में दो एकादशी व्रत रखने की परंपरा है। इन्हीं एकादशी व्रत में सबसे कठिन निर्जला एकादशी का व्रत माना गया है। निर्जला एकादशी पर भक्त बिना जल पिए भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और पूरा दिन व्रत रखते हैं। यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त यह व्रत रखता है उसे श्री हरि की विशेष कृपा मिलती है।
एकादशी व्रत रखने की परंपरा भारत में कई वर्षों से चली आ रही है। महाभारत काल में वेदव्यास जी ने भीम को इस व्रत की महिमा बताई थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त एकादशी व्रत रखता है तथा श्रीहरि की पूजा करता है उसके सभी पाप मिट जाते हैं। इसके साथ भक्तों को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को मरने के बाद स्वर्ग में जगह मिलती है। इस वर्ष निर्जला एकादशी व्रत को लेकर असमंजस की तिथि है। निर्जला एकादशी का व्रत एक दिन पहले अर्थात दशमी तिथि की रात से ही शुरू हो जाता है। रात से ही अन्न व जल ग्रहण नहीं किया जाता है। निर्जला एकादशी के व्रत में सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्य उदय तक जल और भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई कर लें व उसके बाद स्नान कर लें। स्नान करते वक्त पानी में थोड़ा गंगाजल मिला लें। स्नान के बाद साफ पीले रंग का वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पीले चंदन पीले फल फूल से पूजा करें और पीली मिठाई भगवान विष्णु को अर्पण करें। एक आसन पर बैठकर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। आम के फल का भोग भगवान विष्णु को लगाएं।