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हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अपने इकलौते बेटे को किया अल्लाह की राह में कुर्बान,ईद-उल-अजहा का पर्व भाईचारा और सौहार्द से मनाएं

रुड़की।बकरीद यानी ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी दी जाती है।यह एक जरिया है,जिससे बंदा अल्लाह की रजा हासिल करता है।मदरसा अरबिया रहमानिया के प्रधानाचार्य मौलाना अजहर उल हक ने बताया कि कुर्बानी का इतिहास है देखें तो हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम एक बड़े पैगंबर गुजरे हैं,जिन्हें ख्वाब में अल्लाह का हुक्म हुआ कि वह अपने इकलौते प्यारे बेटे हजरत इस्माइल (जो बाद में पैगंबर हुए) को अल्लाह की राह में कुर्बान करें।यह हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के लिए एक इम्तिहान था,जिसमें एक तरफ अपने बेटे से मोहब्बत थी और दूसरी तरफ अल्लाह का हुक्म था।हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अल्लाह के हुक्म को पूरा किया और अल्लाह को राजी करने की नीयत से अपने तल्खे जिगर हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी देने को तैयार हो गए।जैसे ही हजरत इब्राहिम छूरी लेकर अपने बेटे को कुर्बान करने लगे,वैसे ही फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने बिजली की तेजी से हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम को छुरी के नीचे से हटाकर उनकी जगह एक दुंबे को रख दिया,इस तरह हजरत इब्राहिम के हाथों दुंबे के जिबाह होने के साथ पहले कुर्बानी हुई,जो साढ़े चार हजार वर्षों से अदा की जा रही है,इसके बाद जिब्रील अमीन ने हजरत इब्राहिम को खुशखबरी सुनाई कि अल्लाह ने आपकी कुर्बानी कबूल कर ली है और अल्लाह आपकी कुर्बानी से राजी हो गए हैं।कुर्बानी इज्जत के लिए न की जाए,बल्कि इसे अल्लाह की इबादत समझ कर की जानी चाहिए।मौलाना अजहर उल हक ने कहा कि कुर्बानी करने में दिखावा या तकुब्बुर आ गया तो इसका सवाब जाता रहेगा।उन्होंने कहा कि आपसी सौहार्द और भाईचारे को बरकरार रखते हुए ईद-उल-अजहा का त्यौहार मनाएं।अपने हम वतन भाइयों का ख्याल रखते हुए कोई ऐसा काम ना किया जाए,जिससे उनकी भावनाओं को किसी प्रकार की ठेस पहुंचे।

मदरसा अरबिया रहमानिया के प्रशासक हाजी मोहम्मद मुस्तकीम ने अपने संदेश में कहा कि आगामी सात जून को ईद उल अजहा के मौके पर रुड़की की ईदगाह में नमाज अदा की जाएगी,जिसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।ईदगाह में ईद उल अजहा की नमाज मुफ्ती मोहम्मद सलीम अदा कराएंगे,इसके अलावा जामा मस्जिद में भी ईद उल अजहा की नमाज पढ़ी जाएगी।उन्होंने कहा कि ईद उल अजहा के पर्व पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हुए इसे आपसी सौहार्द और भाईचारे के साथ मनाएं।प्रतिबंधित जानवर की कुर्बानी ना कर,जो कुर्बानी की जाए वह पर्दे में की जाए।कुर्बानी का फोटो या वीडियो बिल्कुल ना बनाया जाए।अपने बिरादराना वतन की भावनाओं का ख्याल रखते हुए इस त्यौहार की खुशियों को एक दूसरों में बांटे।

*रुड़की में ईद-उल-अजहा की नमाज का वक्त*

▪️जामा मस्जिद-6:00 बजे प्रातः

▪️मस्जिद उमर बिन खत्ताब-6:15 बजे प्रातः 

▪️मस्जिद शेख बेंचा-5:45 बजे प्रातः 

▪️मस्जिद हवा-6:00 बजे प्रातः

▪️मस्जिद बिलाल-5:45 बजे प्रात:

▪️ईदगाह-7:45 बजे प्रातः

समर्थ भारत न्यूज़

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