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रुड़की नगर व समीपवर्ती इलाकों में अकीदत और श्रद्धा के साथ अदा की गई ईद-उल-अजहा की नमाज,मुल्क की सलामती,अमन व भाईचारे की मांगी दुआएं

रुड़की।नगर और समीपवर्ती इलाकों में ईद-उल-अजहा का त्यौहार पूरी अकीदत और श्रद्धा के साथ मनाया गया।नगर के प्रमुख ईदगाह सहित अनेक मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा कर मुल्क की तरक्की,अमन-सलामती और आपसी प्रेम व सौहार्द की दुआ की गई।रुड़की की ईदगाह में मुफ्ती मोहम्मद सलीम ने ईद-उल-अजहा की नमाज अदा कराई।नमाज से पहले मौलाना अजहर उल हक ने ईद-उल-अजहा के मौके पर कुर्बानी के असल मकसद और उसके आदाब को विस्तार पूर्वक बयान किया।उन्होंने कहा कि इस्लामी तारीख के मुताबिक ईद-उल-अजहा पर अपनी प्यारी चीज को कुर्बान करना अल्लाह ताला का हुक्म और इब्राहिम अलैहिस्सलाम और आखरी नबी हजरत मोहम्मद सल्ल०की सुन्नत है,जिसके लिए इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अल्लाह के हुक्म को पूरा करते हुए अल्लाह ताला की राह में अपने प्यारे बेटे की कुर्बानी करने को तैयार हो गए,इसके बाद इस्लाम में ईद-उल-अजहा पर जानवरों की कुर्बानी करने का हुक्म दिया गया,तभी से कुर्बानी का सिलसिला चला रहा है।उन्होंने बताया कि हजारों साल पहले हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को कोई औलाद पैदा नहीं हुई,काफी वक्त गुजारने पर अल्लाह से दुआ करने के बाद उन्हें एक बेटा स्माइल पैदा हुआ,जिससे हजरत इब्राहिम अलैहिस सलाम बेइंतहा मोहब्बत करने लगे,जिसके चलते ने ख्वाब में अल्लाह की राह में अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुक्म दिया गया।दो दिनों तक यही हुक्म मिलता रहा,जिस पर हजरत इब्राहिम ने अल्लाह की राह में सौ ऊंटों को कुर्बान कर दिए।तीसरी रात फिर प्यारी चीज कुर्बान करने का हुक्म हुआ,जिस पर इब्राहिम अलैहिस्सलाम समझ गए कि उनके इकलौते बेटे इस्माइल की कुर्बानी मांगी जा रही है।इस पर हजरत इब्राहिम ने अल्लाह की राह में अपने प्यारे बेटे की कुर्बानी करने का फैसला किया और हजरत इस्माइल को कुर्बानी करने के लिए सऊदी अरब में एक जगह मीना के मैदान में ले गए।इस दौरान शैतान ने हजरत इस्माइल की मां हजरते हाजरा को बेटे की कुर्बानी के बारे में बात कर बहकना चाहा,जिस पर हजरत हाजरा ने एक तारीखी जवाब देते हुए कहा था कि तू तो शैतान है।मुझे बहकाने आया है।मेरा मुकद्दर कहां कि अल्लाह मेरे बेटे की कुर्बानी मांगे।मैं एक नहीं अल्लाह के नाम पर हजार बेटे कुर्बान करने को तैयार हूं और शैतान को कंकर मार कर भगा दिया,फिर शैतान ने इस्माइल और हजरत इब्राहिम को बहकने,फुसलाने की कोशिश की,जिसको उन्होंने कंकर मार कर वहां से भगाया तभी से सभी हाजी हज के सफर के दौरान उन्ही स्थान पर शैतान को कंकर मारकर हज का अहम अरकान पूरा करते हैं,फिर हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर कुर्बानी करने के इरादे से छुरी गर्दन पर चलाई,लेकिन अल्लाह के हुक्म से छुरी गर्दन पर नहीं चली,उधर अल्लाह का हुक्म हुआ तो इस्माइल की जगह जन्नत से एक दुम्बा आ गया और कुर्बानी के लिए दुम्बे को हलाल किया गया तभी से मजहबे इस्लाम में जानवरों की कुर्बानी की जा रही है और साढ़े चार हजार सालों से हजरत इब्राहिम की सुन्नत को अदा किया जा रहा है।मुफ्ती मोहम्मद सलीम ने कुरान और हदीस की रोशनी में बताया की कुर्बानी उसे इंसान पर वाजिब है,जिसके पास साढ़े बावन तोले चांदी या बासठ हजार से अधिक की हैसियत रखता हो।मदरसा अरबिया रहमानिया के प्रशासक हाजी मोहम्मद मुस्तकीम ने ईद-उल-अजहा की मुबारकबाद देते हुए कहा कि रुड़की नगर शिक्षित और सभ्य लोगों की नगरी है,यहां पर हिंदू-मुस्लिम सभी वर्गों के लोग प्यार-मोहब्बत के साथ रहते आए हैं और एक दूसरे के त्योहारों को मिलजुल कर मनाते हैं।उन्होंने पुलिस प्रशासन तथा तथा नगर निगम प्रशासन की भी बेहतर व्यवस्था के लिए प्रशंसा की।इस अवसर पर रुड़की सीओ नरेंद्र पंत,इंस्पेक्टर आरके सकलानी, एलआईयू प्रभारी प्रदीप कुमार,अरुण नौटियाल, चौकी इंचार्ज नवीन कुमार,पीसीएस अधिकारी तंजीम अली,इंजीनियर मुजीब मलिक,हाजी मोहम्मद सलीम खान,अफजल मंगलौरी,हाजी नौशाद अहमद,मौफीक अहमद,शेख अहमद जमां,जाकिर हुसैन,सैयद नफीसुल हसन,इमरान देशभक्त,सलमान फरीदी,कौसर सिद्दीकी एडवोकेट सहित बड़ी संख्या में लोगों ने ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की।

समर्थ भारत न्यूज़

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