देहरादून, रायपुर। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को परोसे जा रहे अंडों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। रायपुर क्षेत्र के कई केंद्रों में बच्चों को जो अंडे वितरित किए जा रहे हैं, उनकी स्थिति देखकर अभिभावकों और स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया है। बताया जा रहा है कि ये अंडे बाहर से मंगवाए जा रहे हैं, जिनकी गुणवत्ता बेहद खराब है और कई अंडे सड़े-गले मिले हैं।ग्रामीणों का कहना है कि छोटे बच्चों के पोषण के नाम पर विभाग और सप्लायर की मिलीभगत से घटिया सामान सप्लाई किया जा रहा है। यह घटना महिला सशक्तिकरण और बाल विकास जैसी संवेदनशील योजनाओं पर सवाल उठाती है, जिनका उद्देश्य बच्चों का स्वास्थ्य सुधारना और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है।एक स्थानीय महिला ने बताया कि जब अंडे खोले गए तो उनमें बदबू और सड़न की स्थिति थी। “हम अपने बच्चों को ऐसा खाना कैसे दें? ये तो स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है,” उन्होंने कहा।सूत्रों के मुताबिक, ये अंडे बाहरी सप्लायरों से बिना जांच के मंगवाए जा रहे हैं, और कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी इनकी खराब गुणवत्ता को लेकर नाराज हैं। हालांकि, विभागीय अधिकारियों ने फिलहाल मामले की जांच की बात कही है।बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) का कहना है कि “मामले की जानकारी मिली है, टीम को जांच के निर्देश दे दिए गए हैं। दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”इस घटना ने विभाग की खाद्य सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था की पोल खोल दी है। महिला सशक्तिकरण और बाल विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों में इस तरह की लापरवाही न केवल शर्मनाक है, बल्कि यह सीधे बच्चों के स्वास्थ्य और भविष्य से जुड़ा मामला है।