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मौलाना अरशद कासमी का पैगाम बराए ईद-उल-अजहा, इस्लाह,मुहब्बत और समाजी भलाई के नाम

रुड़की।मुल्क के तमाम मुसलमानों और इंसानियत से मुहब्बत रखने वालों को ईद उल अजहा की दिली मुबारकबाद पेश करते हुए मदरसा अरबिया रहमानिया के पूर्व प्रधानाचार्य मौलाना अरशद कासमी ने कहा ईद-ए-कुर्बां सिर्फ जानवर जिबह करने का नाम नहीं,बल्कि अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करने का नाम है।आइए इस मुबारक मौके पर हम अपनी रूहानी कुर्बानी भी दें।तकब्बुर,चुगलखोरी,मक्र व फरेब और दिलों की नफ़रतों को कुर्बान करें,ताकि हमारा मुआशरा पाक-साफ,पुरअमन और रहमतों से भरपूर हो सके।मौलाना ने कहा कि हमें ये भी याद रखना चाहिए कि जहां कुर्बानी वाजिब है,वहीं साफ-सफाई और सलीका-शयारी भी हम पर फर्ज है।कुर्बानी के मौके पर गली-कूचों,सड़कों और आम रास्तों को गंदा करना और लोगों को तकलीफ देना,इस मुबारक अमल की रूह के खिलाफ है।उन्होंने खास तौर पर कहा कि इस बात का ख्याल रखें कि हमारी वजह से किसी राह चलने वाले को तकलीफ़ न पहुँचे,न जिब्ह की जगह से,न जानवरों की आवाज से और न ही हमारे बर्ताव से।आखिर में मौलाना ने तमाम लोगों के लिए दुआ करते हुए कहा अल्लाह तआला इस ईद को हम सब के लिए खैर,बरकत और कामयाबी का जरिया बनाए।हर घर में सुकून हो,हर दिल में मोहब्बत हो और हर अमल में खुलूस हो।इससे पहले रुड़की की जामा मस्जिद में ईद-उल-अजहा की नमाज कारी शाबान द्वारा अदा कराई गई और खुतबा मौलाना अरशद ने किया,बाद में अमनो-सलामती की दुआएं मांगी गई।

समर्थ भारत न्यूज़

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