धर्म विधेयक राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड में जबरन मतांतरण पर अब कठोर कानून अस्तित्व में आ गया।राजभवन की उत्तराखंड स्वतंत्रता (संशोधन)पर मुहर लगने के बाद संशोधित अधिनियम की राह साफ हो गई।अब सामूहिक मतांतरण के मामलों में 10 साल तक कारावास के साथ अधिकतम 50 हजार जुर्माना राशि का प्रविधान किया गया है। जबरन मतांतरण अब गैर जमानती अपराध होगा। वहीं मतांतरण के पीडित को समुचित प्रतिकर के रूप में पांच लाख रुपये की राशि न्यायालय के माध्यम से दिलाई जा सकेगी।उधर, राजभवन बीते माह नवंबर में विधानसभा में पारित सात विधेयकों को स्वीकृति दी है।उत्तराखंड में मतांतरण पर पहले लागू कानून को अब और सख्त किया गया है। कानून का उल्लंघन करने पर सजा और कारावास, दोनों राजभवन ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक को दी स्वीकृति जबरन मतांतरण अब होगा गैर जमानती अपराध में वृद्धि की गई है।यह संशोधन सामूहिक मत परिवर्तन के मामले में किया गया है। दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मत परिवर्तन को सामूहिक मत परिवर्तन की श्रेणी में रखा गया है। सामूहिक मत परिवर्तन में कारावास की अवधि तीन वर्ष से कम नहीं होगी। यह अधिकतम 10 वर्ष तक हो सकेगी। पहले जुर्माना राशि 25 हजार रुपये तय थी। इसे बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है। संशोधित कानून के अनुसार कोई भी पीडित व्यक्ति या उसके माता-पिता या भाई-बहन जबरन यानी किसी दबाव या प्रलोभन के अंतर्गत मत परिवर्तन के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा सकेंगे।
जबरन मतांतरण पर अब 10 साल की सजा




