
दिल्ली में बम धमाका और उत्तराखंड में शीतकालीन टूरिज्म के बीच—जब देश और प्रदेश सुरक्षा के नए–नए दबावों का सामना कर रहे हैं—उस समय हरिद्वार पुलिस की सक्रियता और सतर्कता एक मजबूत संदेश देती है। इस सक्रियता के केंद्र में हैं हरिद्वार SSP परमेंद्र डोभाल, जो आज न केवल प्रशासनिक मजबूती का चेहरा बन चुके हैं बल्कि जनता के बीच भरोसे और सुरक्षा का प्रतीक भी।
अपने कार्यकाल में परमेंद्र डोभाल ने यह साबित किया है कि पुलिसिंग केवल वर्दी का अनुशासन नहीं, बल्कि निरंतर निगरानी, जनता से जुड़ाव और मैदान में उपस्थिति का नाम है।
अचानक निरीक्षण से लेकर रात के अभियान तक—हमेशा एक्टिव SSP
हरिद्वार की गलियों, चौक-चौराहों और हाईवे पर पुलिस की सतर्कता बढ़ाने में SSP डोभाल की “सप्राइज चेकिंग स्टाइल” अहम भूमिका निभा रही है।
कभी देर रात कोतवाली में अचानक पहुंच जाना,
कभी हाईवे पर रैंडम चेकिंग का नेतृत्व करना,
और कभी सोशल मीडिया पर तत्काल प्रतिक्रिया देना
ये सब दिखाता है कि वे डेस्क और फील्ड—दोनों जगह एक समान रूप से सक्रिय हैं।
उनका पुलिसिंग मॉडल साफ है: अपराधियों के लिए सख्ती, जनता के लिए संवेदनशीलता
सोशल मीडिया: जागरूकता और पारदर्शिता का नया हथियार
SSP डोभाल सोशल मीडिया का उपयोग केवल सूचनाओं के प्रसार के लिए नहीं, बल्कि समाज सेवा, जागरूकता और सीधे संवाद के लिए करते हैं।
साइबर ठगी,
नशे की रोकथाम,
सड़क सुरक्षा,
महिलाओं की सुरक्षा,
और रील बाज़ी व सड़क स्टंटिंग के खिलाफ लगातार संदेश और कार्रवाई—
उनकी ऑनलाइन उपस्थिति, जनता में भरोसा पैदा करती है कि “पुलिस सिर्फ कार्रवाई नहीं करती, बल्कि सामाजिक बदलाव की भागीदार भी है।”
युवाओं पर विशेष फोकस—रील बाज़ी, नशा, स्टंटिंग पर सख्त निगरानी
हरिद्वार एक धार्मिक शहर ही नहीं, बल्कि पर्यटन और युवाओं की गतिविधियों का केंद्र भी है।
SSP डोभाल ने युवाओं को भटकने से रोकने और सही दिशा दिखाने के लिए कई अभियान चलाए हैं:
सड़क पर स्टंट करने वालों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस,
ब्लैक फिल्म और बिना नंबर प्लेट वाहनों पर त्वरित चालान,
नशा विरोधी अभियान में स्वयं शामिल होना,
स्कूल–कॉलेज स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम।
उनकी ये पहलें सिर्फ कानून व्यवस्था नहीं, बल्कि युवा सुरक्षा और सामाजिक संतुलन का हिस्सा हैं।
घटनाओं का त्वरित खुलासा: जनता में भरोसे की बड़ी वजह
हरिद्वार में कोई घटना हो और SSP खुद मौके पर न हों—यह हाल के महीनों में लगभग असंभव-सा है।
घटनास्थल का प्रत्यक्ष निरीक्षण,
संबंधित थाने में पहुंचकर टीम का मार्गदर्शन,
और मीडिया के माध्यम से त्वरित अपडेट—
यह मॉडल जनता को यह विश्वास दिलाता है कि
“हर घटना को पुलिस गंभीरता से लेती है, और समाधान तक पीछा करती है।”
एक वाक्य जो SSP डोभाल की कार्यशैली को परिभाषित करता है:
“दिखने वाली पुलिस—विश्वसनीय पुलिस।”
उनकी उपस्थिति, उनकी सख्ती, और उनका मानवीय व्यवहार—तीनों मिलकर एक ऐसा पुलिस मॉडल बनाते हैं, जिसकी जरूरत आज हर जिले को है।
दिल्ली जैसे बड़े शहर में आतंकवादी खतरे और उत्तराखंड में टूरिज्म सीजन की भीड़ के बीच, हरिद्वार में शांति, अनुशासन और सुरक्षा बनाए रखने में SSP परमेंद्र डोभाल की भूमिका महत्वपूर्ण है।
कभी हाईवे पर चेकिंग करते हुए,
कभी कोतवाली में अचानक निरीक्षण,
तो कभी सोशल मीडिया पर जनता से सीधे संवाद—
उनकी यह शैली बताती है कि पुलिसिंग तभी प्रभावी है, जब अधिकारी केवल ऑफिस में नहीं, बल्कि जनता के बीच मौजूद हों।
हरिद्वार आज सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि यहाँ एक सतर्क, सक्रिय और जनहित के लिए प्रतिबद्ध SSP मौजूद है।
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