
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले में सुनवाई शुरू करते हुए लड़कियों के खतने (Female Genital Mutilation – FGM) पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। यह प्रथा विशेष रूप से दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में प्रचलित है, जहाँ इसे ‘खतना’ कहा जाता है।यह याचिका चेतना वेलफेयर सोसाइटी नाम की एनजीओ ने दायर की है। एनजीओ का कहना है कि—यह प्रथा बच्चों के मूल अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है,इसमें नाबालिग बच्चियों की शारीरिक अखंडता को नुकसान पहुँचाया जाता है,
और यह POCSO एक्ट के तहत स्पष्ट रूप से दंडनीय अपराध है।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर 2025 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है कि सरकार का इस मुद्दे पर क्या रुख है।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि भारत में लड़कियों के खतने पर अभी तक कोई स्पष्ट कानून नहीं है, जबकि दुनिया के कई देशों में इसे प्रतिबंधित और दंडनीय अपराध माना जाता है। इसलिए भारत में भी इस प्रथा पर कड़ा कानून बनाकर पूर्ण प्रतिबंध लगाना आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट अब मामले की अगली सुनवाई में केंद्र के जवाब के बाद आगे की कार्यवाही तय करेगा।
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