
हरिद्वार, 21 नवम्बर। तीर्थ सेवा न्यास द्वारा स्थापित किए जा रहे विश्व सनातन महापीठ की उद्घोषणा एवं शिला पूजन कार्यक्रम भव्य रूप से संपन्न हुआ। कार्यक्रम में देश, विदेश के संत, महंत, धर्माचार्य, विद्वानों एवं श्रद्धालु शामिल हुए।
ब्रह्मृषि कुमार स्वामी महाराज ने कहा कि विश्व सनातन महापीठ आने वाली पीढ़ियों तक सनातन संस्कृति, धर्म, कला, ज्ञान, और सेवा को सुरक्षित रखने का वैश्विक केंद्र बनेगा। कथावाचक अनिरूद्धाचार्य ने कहा कि सनातन ने हमेशा पूरे विश्व का मार्गदर्शन किया है। विश्व सनातन महापीठ से प्रसारित होने वाले आध्यात्मिक संदेश पूरी दुनिया को कल्याण और मानवता की राह दिखाएंगे।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए तीर्थ सेवा न्यास के संरक्षक बाबा हठयोगी ने बताया कि उद्घोषणा एवं शिला पूजन के दौरान चार महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित कर विश्व सनातन महापीठ की ओर से राष्ट्र के लिए संदेश जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि पारित प्रस्तावों में भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आधारशिला गौ माता को संवैधानिक रूप से राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाए। राष्ट्र और समाज की स्थिरता, सुरक्षा के लिए कठोर और समान जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने, राष्ट्र की एकता, समानता और कानून की श्रेष्ठता के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू हो, गरीब, अमीर, शहर, गांव सभी को समान अवसर देने हेतु एक समान, संस्कारयुक्त, राष्ट्रवादी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। तीर्थ सेवा न्यास के सचिव रामविशाल दास महाराज) ने बताया कि विश्व सनातन महापीठ सनातन संस्कृति, वेद, गुरुकुल परंपरा और धर्म की रक्षा करेगा। गौसेवा, गंगा, हिमालय संरक्षण, पर्यावरण, योग आयुर्वेद का प्रचार करेगा। युवाओं, महिलाओं, साधकों और शोधकर्ताओं के लिए वैश्विक केंद्र बनेगा। विश्व के हर देश में सनातन संस्कृति का प्रकाश पहुंचाने का कार्य करेगा।
इस दौरान प्रसिद्ध कथावाचक डा.अनिरुद्धाचार्य, देवकीनन्दन ठाकुर, ब्रह्मृषि कुमार स्वामी, स्वामी चिदानन्द मुनि, श्रीमहंत राजेन्द्रदास, श्रीमहन्त मुरलीधरन, अश्वनी उपाध्याय, विष्णु शंकर जैन, स्वामी सच्चिदानन्द, डा.गौतम खट्टर, अविचल दास, जगतगुरु भैया जी महाराज, करौली शंकर महादेव, राज राजेश्वर गुरु अमेरिका, संजय आर्य शास्त्री अमेरिका, महामंडलेश्वर गोपाल दास सहित बड़ी संख्या मे संत और श्रद्धालु मौजूद रहे। तीर्थाचार्य रामविशाल दास महाराज ने सभी संतों का स्वागत किया।





















