
रुड़की। गुरु नानक सत्संग सभा गुरुद्वारा, नेहरू स्टेडियम में सिख धर्म के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें प्रकाश उत्सव का आयोजन अत्यंत श्रद्धा, उल्लास और आध्यात्मिक वातावरण में किया गया। पूरे परिसर को रोशनी और फूलों से सजाया गया, जहां सुबह से ही संगतों का आना शुरू हो गया था। कार्यक्रम में स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ बाहरी क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर गुरु साहिब के प्रति अपनी आस्था और प्रेम व्यक्त किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अमृतसर से विशेष रूप से आए रागी जत्थों के द्वारा मधुर और भावपूर्ण शब्द-कीर्तन के साथ हुआ। रागियों ने गुरु तेग बहादुर जी की वाणी और गुरबाणी के अनेक पवित्र शबदों का गायन किया, जिससे पूरा वातावरण आध्यात्मिक रंगों से भर गया। श्रद्धालुओं ने अत्यंत श्रद्धा और ध्यान से कीर्तन सुना तथा गुरु साहिब की महिमा का रसपान किया। कीर्तन के पश्चात गुरु का अटूट लंगर सभी के लिए परोसा गया, जिसमें भारी संख्या में संगतों ने प्रेमपूर्वक भाग लिया।
इस अवसर पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार सुरेंद्र सिंह, सरदार इंद्रजीत सिंह, सरदार तरनदीप सिंह, सरदार सतनाम सिंह, सरदार जसवीर सिंह, सरदार गुरमीत सिंह, सरदार सरनजीत सिंह, सरदार कुलदीप सिंह तथा तिलक राज नंदा, वंश ने गुरु तेग बहादुर जी के महान जीवन-चरित्र पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने बताया कि गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म, मानवता और सत्य की रक्षा के लिए अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया। उनका बलिदान न केवल सिख इतिहास में, बल्कि विश्व इतिहास में धर्म और मानवता की रक्षा का अद्वितीय उदाहरण है।
उन्होंने गुरु साहिब की शिक्षाओं—त्याग, निराभिमानता, साहस, सहिष्णुता और सत्य के मार्ग पर चलने—का महत्व बताते हुए कहा कि आज भी गुरु तेग बहादुर जी की वाणी और संदेश मानव जीवन के लिए प्रकाश स्तंभ हैं। कार्यक्रम में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं से अपील की गई कि वे गुरु साहिब की शिक्षाओं को अपने दैनिक जीवन में अपनाएं और समाज में प्रेम, शांति और भाईचारे का संदेश फैलाएं।
प्रकाश उत्सव कार्यक्रम पूरे दिन उत्साह, भक्ति और अनुशासन के साथ संपन्न हुआ। बड़ी संख्या में संगत की उपस्थिति और सेवादारों की निष्ठा ने आयोजन को और भी सफल और स्मरणीय बना दिया।





















