
रूड़की। उत्तराखंड राज्य के मैदानी क्षेत्र से संबंधित नागरिकों की संवैधानिक समस्याओं के समाधान हेतु कार्रवाई की मांग को लेकर लोकतांत्रिक जन मोर्चा के बैनर तले पर महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन उप जिलाधिकारी, रुड़की के माध्यम से भेजा गया।
लोकतांत्रिक जन मोर्चा संयोजक सुभाष सैनी ने कहा कि हम उत्तराखंड राज्य के मैदानी क्षेत्र में निवासरत नागरिक गण महामहिम राष्ट्रपति को ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रुड़की के माध्यम से राज्य की आधी आबादी से संबंधित कुछ अति आवश्यक एवं जनहित के मुद्दों पर समुचित कार्रवाई हेतु ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं।
व्यापारी नेता अरविंद कश्यप ने कहा कि मूल निवास एवं स्थाई निवास प्रमाण पत्र से संबंधित नीति पर स्पष्टीकरण हो। उत्तराखंड राज्य के गठन से ही मूल निवास (Domicile) और स्थाई निवास (Permanent Residence) को लेकर जो भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इस विषय पर राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट एवं समान नीति घोषित की जाए जिससे सभी नागरिकों को बिना भेदभाव समान रूप से प्रमाण पत्र निर्गत किया जा सके साथ ही सरकारी नौकरियां सहित किसी भी क्षेत्र में दोनों प्रमाण पत्रों के आधार पर भेदभाव ना किया जाए। 9 नवंबर सन् 2000 को मूल निवास बनाने हेतु कट ऑफ डेट निश्चित किया जाए।
कांग्रेस नेता आशीष सैनी ने कहा कि आरक्षण नीति में क्षेत्रीय असमानता का निराकरण किया जाय। उत्तराखंड राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लेकर क्षेत्र के आधार पर विभाजित किया गया है। इससे मैदानी क्षेत्र के नागरिकों में असामान्यता उत्पन्न हो रही है। अत: आरक्षण नीति को पुनः अलग-अलग संकलित/संशोधित करते हुए पूरे राज्य में समान रूप से लागू किया जाए।
वरिष्ठ नेता हेमेंद्र चौधरी ने कहा कि क्षेत्रवाद की प्रवृत्ति पर रोक लगे। राज्य सरकार के किसी भी वक्तव्य अथवा योजना में क्षेत्रवाद (Regionalism) की भावना को कोई स्थान नहीं दिया जाना चाहिए। यदि कोई जनप्रतिनिधि अथवा लोक सेवक इसमें लिप्त पाया जाता है तो उस उसे पर संवैधानिक दायित्वों के अनुरूप शब्द अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। संघ लोक सेवा आयोग व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भाषा (प्रश्नों) की एकरूपता लाना सुनिश्चित किया जाए।
सामाजिक चिंतक सुरेश माहेश्वरी एडवोकेट ने कहा कि राज्य सरकार की योजनाओं, नौकरियों एवं शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर मिले।
वैज्ञानिक सरदार एम एस कालरा ने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करें कि योजनाओं नियुक्तियों और शैक्षिक अवसरों में राज्य के प्रत्येक नागरिक के साथ सम्मान संवैधानिक व्यावहारिक किया जाए ताकि उत्तराखंड के सभी क्षेत्र समान रूप से विकास की प्रक्रिया में सहभागी बन सकें। ज्ञापन देने वाले सभी प्रतिनिधियों ने कहा कि उपरोक्त बिंदुओं का तत्काल संज्ञान लेते हुए इस संबंध में उत्तराखंड राज्य सरकार को इन मुद्दों पर अभिलंब निदान हेतु जनहित में कार्रवाई करने का निर्देश देने की कृपा करें। ज्ञापन देने वालों में मुख्य रूप से एम एस कालरा, अनिल पुंडीर एडवोकेट, दिनेश धीमान एडवोकेट,पूर्व पार्षद संजय कश्यप, व्यापारी नेता ओम वाधवा,सुशील सैनी,राजू अरोड़ा,चौ ऋषिपाल सिंह, सुधीर सैनी,संजय शर्मा,आर्य वीर सैनी, अजय वर्मा , आजम , सीराज महंदी,जफर अहमद इत्यादि उपस्थित रहे





















