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चौधरी मोहम्मद मुबशशीर एडवोकेट ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान “पानी रोकने” को लेकर विधायक किशोर उपाध्याय और लक्सर विधायक मोहम्मद शहज़ाद के बीच जो तीखी बहस देखने को मिली।

चौधरी मोहम्मद मुबशशीर एडवोकेट ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान “पानी रोकने” को लेकर विधायक किशोर उपाध्याय और लक्सर विधायक मोहम्मद शहज़ाद के बीच जो तीखी बहस देखने को मिली। जिसमें विधायक शहज़ाद ने कहा — “टिहरी विस्थापन हुआ है, उसे वापस कर लो।”

इस पर किशोर उपाध्याय ने जवाब दिया — “हम तैयार हैं, टिहरी बांध तोड़ लीजिए। हमारी वजह से आप ज़िंदा हैं, अगर हम पानी नहीं देंगे तो प्यासे मर जाओगे। 

इस पर वरिष्ठ समाजसेवी चौधरी मोहम्मद मुबशशीर एडवोकेट ने इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा —

“किशोर उपाध्याय ने उत्तराखंड की देवतुल्य जनता का अपमान किया है, वह खुदा नहीं है जो कहीं का भी कभी भी पानी रोक देंगे । पानी रोक सकते तो धराली का पानी रोक कर दिखाते हैं । और रही जीवन की बात तो तुम नहीं छीन सकते तुम खुदा नहीं हो। जीवन मृत्यु खुदा के हाथ में है किशोर उपाध्याय और भाजपा नेता विनोद चमोली को जनता से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर माफी नहीं मांगी गई या विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर कार्रवाई नहीं की तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन और धरना प्रदर्शन किया जाएगा। 

अगर प्लेन की जनता चाहे तो वह उनका राशन भी भेजना प्लेन से बंद कर दे तो वह सुबह का नाश्ता करना भी भूल जाएंगे । दिल में इतनी नफरत प्लेन वालों के लिए एक नेता को रखना यह उचित नहीं है 

चौधरी मोहम्मद मुबशशीर एडवोकेट ने कहा कि जब खुद नेता ही 1950 का “मूल निवास प्रमाणपत्र” या आपने कागजात नहीं दिखा सकते,तो आम जनता से ऐसी उम्मीद क्यों, उत्तराखंड की राजनीति अब विकास और रोजगार जैसे मुद्दों से भटककर सिर्फ बयानबाज़ी तक सीमित रह गई है।

चौधरी मोहम्मद मुबशशीर एडवोकेट कहा कि 25 साल उत्तराखंड बने हुए हो गए और आज तक के उत्तराखंड की जनता अपने ही अधिकार से महरूम रखा गया है उन्हें अपने ही हक के लिए लड़ना पड़ रहा है उन्हें आज तक के अपना मूल निवास प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जा रहा है उसमें भी भेदभाव किया जा रहा है अगर इतना भेदभाव है हरिद्वार जिले से तो हरिद्वार जिले को उत्तराखंड से अलग कर दो,

 अगर 50 साल पुराने कागज सरकार से मांगे तो अधिकतर कागज उनके पास भी दिमक चढ़ चुके होंगे या फिर धारली जैसे सैलाब में भेज चुके होंगे तो क्या वह लोग उत्तराखंड के निवासी नहीं रहे। आपको सन 2000 जब से उत्तराखंड बना तब से लोगों के जाति प्रमाण पत्र व मूल निवास प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश जल्द पारित करना होगा यह भेदभाव की राजनीति खत्म करके उत्तराखंड वासियों को उनका हक दिलाना होगा नहीं तो उसके खिलाफ उत्तराखंड की जनता को अब कोर्ट जाकर अपने हक की लड़ाई लड़नी होगी। और इसका जवाब 2027 के चुनाव में जनता सरकार को जरूर देगी।

SAMARTH DD NEWS

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