
रुड़की।ईद-उल-अजहा के पर्व को लेकर मदरसा अरबिया रहमानिया के पूर्व प्राचार्य मौलाना अरशद कासमी ने कहा कि यह त्यौहार मुसलमानों का बहुत ही अजीम त्यौहार है,जिसे पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के द्वारा अपने बेटे को अल्लाह की राह कुर्बान किए जाने की याद में मनाया जाता है,हालांकि अल्लाह को उनकी ये कुर्बानी इतनी पसंद आई कि अल्लाह ने हजरत इब्राहिम के बेटे की जगह एक दुम्बे को भेज दिया।उन्होंने कहा कि कुर्बानी हजरत इब्राहिम की सुन्नत है,जो इस्लामी महीने के आखिरी महीने में आती है।कुर्बानी करना अल्लाह की रजा को हासिल करना है।कहा की कुर्बानी करते समय हमें कुछ खास बातें भी ध्यान रखनी चाहिए,वही हमें गरीबों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।कुर्बानी को चारदीवारी के अंदर करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि किसी दूसरे की भावना आहत न हो,इसके लिए सोशल मीडिया पर किसी भी पशु की कुर्बानी का वीडियो या फोटो वायरल ना किया जाए तथा प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी ना की जाए और कुर्बान कीये गए जानवरों के अवशेष इत्यादि को खुले में ना डालें।साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए और इस त्यौहार को एक इबादत के तौर पर मिलजुल कर मनाया जाना चाहिए।