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संस्कृति उत्सव के रूप में पायथियन खेलों का ऐतिहासिक महत्व प्रथम राष्ट्रीय सांस्कृतिक पायथियन खेल 12 से 15 दिसंबर तक पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में आयोजित किए जाएंगे

रूड़की। प्रथम राष्ट्रीय सांस्कृतिक पायथियन खेल 12 से 15 दिसंबर तक पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में आयोजित किए जाएंगे। इस भव्य आयोजन में भारत के लगभग 5,000 कलाकारों और एथलीटों के साथ-साथ रूस सहित 15 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।

मॉडर्न पायथियन गेम्स के संस्थापक बिजेंद्र गोयल ने कहा कि यह आयोजन भारत और हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करेगा, जिससे हरियाणा में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और अंतर्राष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने में सहायता मिलेगी। उल्लेखनीय है कि इस आयोजन के माध्यम से गीता की धरती के रूप में भी प्रसिद्ध हरियाणा की धरती पर 5,000 से अधिक वर्षों में पहली बार गदा युद्ध का पुनरुद्धार होगा।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और मॉडर्न पाइथियन गेम्स ने भारतीय और ग्रीक संस्कृतियों के बीच सांस्कृतिक संबंधों और समानताओं के साथ-साथ महाभारत युग के दौरान उनके संबंधों पर शोध करने के लिए एक प्रारंभिक समझौता भी किया है। साथ मिलकर, इन संस्थानों का उद्देश्य विविध संस्कृतियों को जोड़ना और वैश्विक सांस्कृतिक मानचित्रण में योगदान देना है।

बिजेंद्र गोयल ने पाइथियन खेलों के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ग्रीक पौराणिक कथाओं के अनुसार, इनकी स्थापना भगवान अपोलो ने की थी और इन्हें ओलंपिक खेलों का अग्रदूत माना जाता है। ओलंपिक के विपरीत, जिसमें मुख्य रूप से शारीरिक प्रतियोगिताओं पर जोर दिया जाता है, पाइथियन खेलों में कला, संस्कृति और एथलेटिक प्रतियोगिताओं के उत्सव को समान महत्व दिया गया।

हरिद्वार रोड स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए बिजेंद्र गोयल ने ग्रीस के प्रतिष्ठित उत्सवों में से एक पायथियन खेलों की प्राचीन उत्पत्ति और परिवर्तनकारी पुनरुत्थान की जानकारी दी। उन्होंने कहा कला, संस्कृति और समरसता के उत्सव के रूप में इन खेलों के ऐतिहासिक महत्व है। आने वाला समय इन्हीं खेलों का है जो कि छिपी हुई प्रतिभाओं को अंतराष्ट्रीय मंच देने का कार्य करेगा। पाइथियन खेल केवल प्रतियोगिता नहीं हैं, यह एक ऐसा मंच है जो संगीत, कला और पारंपरिक खेलों के माध्यम से संस्कृतियों को एकजुट करने का अवसर प्रदान करता है। कुरुक्षेत्र के डिप्टी कमिश्नर आईएएस अधिकारी राजेश जोगपाल ने बताया कि 12 से 15 दिसंबर तक पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में यह पहली प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। उत्तराखंड के लोगों और अन्य नागरिकों को आमंत्रित करते हुए गोयल ने उनसे आगामी खेलों में पंजीकरण और भाग लेने का आह्वान किया। अपर सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग उत्तराखंड अनुराधा पाल ने कहा पंचकुला में होने वाली प्रतियोगिता एक विभिन्न खेलों का एक ऐतिहासिक संगम होगा जो कला और सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति साझा प्रेम के माध्यम से एकता और समझ को प्रोत्साहित करेगा, साथ ही सांस्कृतिक खेलों में एक नए युग की नींव रखेंगे। इस अवसर पर आईएएस नीरज खैरवाल,शिव प्रताप सिंह, राहुल विश्नोई,अमित सिंह,राम अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

समर्थ भारत न्यूज़

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