नमस्कार दोस्तों आज आपको एक ऐसे विषय की जानकारी देना चाहेंगे जो अति महत्वपूर्ण है। बताते चलें रुड़की शहर की जो धरोहवर हैं उन पर विज्ञापन लगाने की एक ब्यार सी चल पड़ी है ऐसी धरोहर जिनसे रुड़की शहर की एक अलग ही पहचान नजर आती है।
अब वह धरोहर विज्ञापन की आड़ में विलुप्त नजर होती दिखाई देती है।चाहे उसमें रुड़की शहर का शताब्दी द्वार हो या रामनगर का राम द्वार। अगर रामनगर के राम द्वार की बात करें तो विज्ञापनों के इतने होल्डिंग्स लग गए हैं कि अब राम द्वार नजर ही नहीं आता। हम लोग अपनी प्रसिद्धि के लालच में अपने शहर की उन धरोहरों को धीरे-धीरे खोते जा रहे हैं। जिससे हमारे शहर की या शहर के विभिन्न क्षेत्रों की अलग ही पहचान नजर आती है अगर यही हालात रहे तो भविष्य में हम अपने शहर में आने वाले आगंतुकों एवं नई पीढ़ी को अपने शहर की पहचान कराने में सक्षम नहीं रहेंगे। यह अति सोचनीय विषय है।
धन्यवाद।
समर्थ भारत न्यूज़