राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ शताब्दी वर्ष मे 7 प्रकार के कार्यक्रम पूरे वर्ष मे करने जा रहा है जिसमे प्रथम विजय दशमी उत्सव पर पूरे देश में गाँव स्तर पर मण्डल बनाकर तथा शहरो में बस्ती स्तर पर गणवेश धारी स्वयंसेवक पथसंचलन एवं कार्यक्रम कर रहे है । उसी क्रम मे रुडकी नगर की गंगा बस्ती द्वारा BSM इण्टर कॉलेज मे पदम कुमार गौतम सेवानिवृत्त मेजर जनरल की अध्यक्षता मे बौद्धिक देते हुए प्रान्त प्रचारक डॉ शैलेन्द्र जी द्वारा कहा कि श्रीराम ने वनवासी ,गिरिवासी, शोषित ,वन्चित समाज को सगठित कर अत्याचारी रावण का अन्त किया । श्रीकृष्ण ने ग्वालबालो को सगठित कर अत्याचारी मामा कंस का अन्त किया । कलयुग में संगठन शक्ति ही सबसे बड़ी शक्ति है ।आत्म विस्मृत ,आत्म केन्द्रित, आत्म शून्य ,हिन्दू समाज को सगठित कर भारत माता को परम वैभव पर पहुंचा कर विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने के लिए आर एस एस की स्थापना सौ वर्ष पूर्व हुई थी। डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार जन्मजात देशभक्त एवं स्वतन्त्रता सेनानी द्वारा कांग्रेस छोड़कर 1925 में व्यक्तित्व निर्माण के लिए विजयदशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना नागपुर में की थी । संघ आज 60 देशो में सनातन विचारों पर कार्य करते हुए विभिन्न उपेक्षा, उपहास एवं प्रतिबन्धो से संघर्ष करते हुए विश्व का सबसे बड़ा स्वयसेवी एवं स्वावलम्बी सगठन है। सौ वर्षों में संघ ने लाखो कार्यकर्ता, शाखाए ,सहायक सगठनो का व्यापक नेटवर्क तैयार कर विदेशो तक भारतीय संस्कृति एव सेवाकार्य बाढ ,भूकम्प ,महामारी कोरोना जैसी आपदाओं मे सेवा कार्य ,शिक्षा संस्थानों, छात्रावासो और सेवा परियोजनाओं की स्थापना की गई । वनवासी एव वंचित क्षेत्रों में सेवा कर सामाजिक समरसता और जाति भेद मिटाते हुए सभी के लिए एक कुआ, एक मन्दिर, एक शमशान के लिए प्रयासरत है । संघ द्वारा सेवा, सगठन और सस्कार को आधार बनाकर राष्ट्र को एकात्म मानवदर्शन और सांस्कृतिक राष्ट्रीयत्व की राह पर अग्रसर करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यो मेंअलगाववाद एव नक्सल प्रभावित क्षेत्रो मे संघ सेवा एवं शिक्षा कार्यो से परिवर्तन का वर्णन किया । स्वतंत्रता आंदोलन में संघ की भूमिका का वर्णन किया गया । शहीद राजगुरू भी नागपुर कीआरएसएस शाखा से जुड़े हुए बताये गये। स्वतन्त्रता बाद सघ की भूमिका पर कहा कि भारत विभाजन मे लाखो हिन्दुओ की सुरक्षा और पुर्नवास हेतु संघ ने वास्तुहारा समिति बनायी कशमीर, हैदरावाद, गोवा आन्दोलनों मे सघ का योगदान रहा उन्होंने कहा कि 1962 व 65 तथा 1971 के युद्धो मे भारतीय सेना की मदद की संघ सेवाकार्य से प्रभावित प्रधानमंत्री नेहरू के आमन्त्रण पर 26 जनवरी 1963 की गणतन्त्र परेड में 3000 गणवेशधारी स्वयसेवको ने संघ घोष के साथ संचलन किया।
संघ की सौ वर्षो की यात्रा पर कहा कि संघ स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने वाले ये कि सरकार ने 1947 मे गाधीजी की हत्या का झूठा आरोप लगाकर सघ पर प्रतिबन्ध लगा कर श्री गुरु जी को जेल भेज दिया 16 स्वयसेवको को जिन्दा जला दिया गया 69077 स्वय सेवको ने सत्याग्रह किया गाधी हत्या का आरोप सिद्ध न होने से संघ से प्रतिबन्ध हटाना पडा। देश में आपात काल तथा रामजन्म भूमि आदोलन ,अयोध्या में विवादित ढाचे ढहाने के आरोप लगाकर तीन बार संघ पर सरकार ने प्रतिबन्ध लगाया । उनको डर था कि संघ का वर्चस्व न हो जाये राजनैतिक दल न बन जाये किन्तु संघ द्वारा विविध क्षेत्रों मे विकास, परिवर्तन कार्य ,समन्वय स्थापित करने का कार्य ,नवीन राष्ट्रीय चितन की दिशा कार्य करता रहा है जिसके आधार पर 1990 से संघ की सहमति का कालखण्ड चल रहा है उन्होंने संघ के वैचारिक सगठनो का वर्णन किया जिसमे हिन्दुस्थान समाचार, अखिल भारतीय विद्यार्थीपरिषद, विद्या भारती, भारतीय मजदूर संघ ,भारतीय जनता पार्टी ,शिक्षण मण्डल, इतिहास सकलन समिति, भारत विकास परिषद ,विश्व हिन्दू परिषद ,ग्राहक पंचायत, आयुर्वेद परिषद ,नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन,स स्कार भारती, संस्कृत भारती, सहकार भारती ,सेवा भारती, क्रींडा भारती, विज्ञान भारती,अधिवक्ता परिषद ,पूर्व सैनिक परिषद, भारतीय किसान संघ, लघु उद्योग भारती ,विज्ञान भारती ,सक्षम ,स्वदेशी जागरण मंच, आदि अपने क्षेत्रो मे विशिष्ठ कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा पंच परिवर्तन से समाज परिवर्तन हेतु स्वय सेवक अपने आचरण से प्रारम्भ करे। उन्होने पंच परिवर्तन मे कुटुम्ब प्रवोधन मे स्वभाषा ,भोजन ,भवन ,भजन, भ्रमण ,भूषा भारतीय परम्परानुसार हो।सामाजिक समरसता के लिए छुआछुत भेदभाव समाप्त करने के लिए अपने परिवार से प्रारम्भ करे।पर्यावरण हेतु पेड लगाये, पानी बचाए ,प्लास्टिक मुक्त परिवार रहे। स्वदेशी अन्तर्गत दैनिक जीवन मे स्व आधारित उपयोग किया जाये। नागरिक कर्तव्य का जीवन मे पालन करना एवं समाज से आग्रह करना ।
। वर्तमान स्थिति पर उन्होंने कहा कि टैरिफ द्वारा भारत को कमजोर करने की कोशिश, षडयन्त्रो द्वारा जातीय संघर्ष, हिन्दुत्व व हिन्दू दर्शन से घृणा, लव जेहाद, लैण्ड जेहाद, जनसंख्या असन्तुलन, पलायन ,रोजगार संसाधनो पर कब्जा ,कौशल विकास में हिन्दू शिथिलता, ग्राम स्वालम्बन, रीति-रिवाजों परम्पराओं से खिलवाड, समाज तोडनेवाले धारावाहिकों का षडयन्त्र, देशविरोधी गतिविधिया, वामपंथी एजेन्डे को समझना और सर्तकता जैसी समस्याओं से बचाने के लिए सघ के 42 सगठन कार्य कर रहे हैं। अध्यक्षीय उदबोधन मे राष्ट्र हित सर्वोपरि मानकर कार्य करे। गणवेश धारी कई सौ स्वयसेवको ने मालवीय चौक रेलवे स्टेशन शिवाजी चौ क बी एस एम तिराहा स से होकर गुजरा नगर वासियो द्वारा फूलो की वर्षा कर स्वागत किया । बाल एवं प्रौढ गणवेश धारी स्वयंसेवक के कदम से कदम हाथ से हाथ मिलाते हुए समता एवं अनुशासन का नगर वासियो द्वारा प्रशंसा की गयी । संघ चालक एवं प्रचारक सहित हजारो की संख्या मे उपस्थित रहे।