
रूडकी।इंटरनैशनल वेल्फेयर ह्यूमैन राईट्स फॉर जस्टिस फाऊंडेशन तथा प्रकृति भक्त फाऊंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में लाजपत भवन,दिल्ली के ऑडिटोरियम में तिरंगा गौरव एवार्ड-2025 में ज्ञान प्रज्ञा पुस्तक का विमोचन अतिथिगणों द्वारा किया गया।पुस्तक के संपादक संजय वत्स ने बताया कि आईएसबीएन अनुमोदित यह पुस्तक भारतीय ज्ञान परंपरा के समाजोपयोगी व मोक्षगामी विकास से संबंधित विराट उद्देश्यों की पूर्ति करने हेतु प्रकाशित की गई हैं।भारतीय ज्ञान परम्परा भारतवर्ष में प्राचीन काल से चली आ रही शिक्षा प्रणाली है,इसके अंतर्गत वेद,वेदांग,उपनिषद,श्रुति,स्मृति से लेकर विभिन्न प्रकार के दर्शनशास्त्र,धर्मशास्त्र,अर्थशास्त्र,शिक्षाशास्त्र,नाट्यशास्त्र, प्रबन्धन एवं विज्ञान विद्याशाखा इत्यादि के अथाह ज्ञान का भण्डार हैं।उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा के अंतर्गत शिक्षा को विद्या,ज्ञान,दर्शन, प्रबोध,प्रज्ञा,वागीशा एवं भारती इत्यादि शब्दों से भी परिभाषित किया गया है।भारतीय ज्ञान परम्परा के अध्ययन द्वारा निश्चित रूप से नयी पीढ़ी के विद्यार्थियों में भारतीय होने का गौरवबोध जागृत होगा,यही इस रचनात्मक दस्तावेज का मूलमंत्र हैं।संजय वत्स ने बताया कि इससे पूर्व उदघोष:शिक्षा का नया सवेरा तथा निवेधा:शिक्षा का इंद्रधनुष पुस्तक का संपादन किया जा चुका हैं।उन्होने देश की सरकारी शिक्षा व शिक्षण की बेहतरी को चलाये जाने वाले अभियान उदघोष:शिक्षा का नया सवेरा की बाबत जानकारी देते हुए बताया कि ‘उदघोष:शिक्षा का नया सवेरा’ सिर्फ किसी शिक्षा,शिक्षण की बेहतरी से जुडे महज एक अभियान का नाम नहीं हैं,बल्कि देशभर के सरकारी शिक्षको की रचनात्मकता,नवाचारी गतिविधियों, सृजनात्मकता के प्रचार-प्रसार का नया ठिकाना है।यह अभियान शिक्षा के नये सवेरे का उदघोष है।विचार-कला-चिंतन-मंथन का एक मौलिक मचान और एक ऐसी जमीन है जहां जमींदोज हो रही मौलिक व नवीन शिक्षण प्रविधियों के अलावा मानवीय संवेदनाओं को बचाने की जंग में विभिन्न राज्यों के शिक्षक जुड रहे हैं।पुस्तक विमोचन में डॉ०राम अवतार शर्मा एडवोकेट,सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया,निर्मूनी पुरानी (डायरेक्टर प्रोड्यूसर,मुंबई)
प्रोफेसर डॉ०संदीप सिंह(दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली),श्रीनिवास तिवारी

(प्रिंसिपल एमसीडी प्राइमरी स्कूल लाजपत नगर,दिल्ली)मयंक जैन(मैलबोर्न, ऑस्ट्रैलिया),सीमा गुप्ता(कलकत्ता)मौजूद रहे।कार्यक्रम का संचालन डॉ०कबीर टाईगर व कणिका सचदेवा ने संयुक्त रूप से किया।
