
रुड़की/हरिद्वार – उत्तराखंड में खनन अब केवल आर्थिक गतिविधि नहीं रहा, बल्कि यह एक बढ़ता हुआ अभिशाप बन गया है। नदियों के किनारों से लेकर गांव-शहर की सीमाओं तक, खनन माफिया बेखौफ होकर दिन-रात अवैध खनन कर रहे हैं। डंपरों की लगातार आवाजाही से सड़कें बदहाल हो चुकी हैं और दुर्घटनाओं का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस बेलगाम खनन पर कोई लगाम नजर नहीं आती। न तो प्रशासन की सख्ती दिखती है, और न ही शासन की कोई प्रभावी कार्यवाही। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात में डंपर इतने तेज़ और खतरनाक ढंग से दौड़ते हैं कि आम नागरिकों का पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है।
आम जनता की आवाज को कौन सुनेगा?
खनन से हो रहा यह अंधाधुंध मुनाफा किसके हिस्से जा रहा है, और इसके बदले में उत्तराखंड क्या खो रहा है — यह अब सोचने का नहीं, जागने का समय है।





















