
रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) एवं विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय फोरम ऑफ रेगुलेटर्स (एफओआर) ने आईआईटी रुड़की में नियामक मामलों के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
समझौता ज्ञापन पर आईआईटी रुड़की के बोर्ड रूम में वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए, जिनमें आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर के.के. पंत, आईआईटी रुड़की के शैक्षणिक मामलों के कुलशासक प्रोफेसर नवीन के. नवानी, फोरम ऑफ रेगुलेटर्स (एफओआर) एवं केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) के सचिव हरप्रीत सिंह प्रूथी, सीईआरसी के प्रमुख (नियामक मामले) डॉ. एस.के. चटर्जी एवं जल एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग (एचआरईडी) के प्रोफेसर अरुण कुमार शामिल थे। हस्ताक्षर समारोह में जल एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के प्रमुख प्रोफेसर संजीव कुमार प्रजापति, प्रोफेसर सुनील कुमार सिंघल, प्रोफेसर हिमांशु जैन और अन्य संकाय सदस्य एवं अधिकारी भी उपस्थित रहे।

अपने संबोधन में, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने इस ऐतिहासिक सहयोग पर गर्व व्यक्त किया और इसे भारत के विनियामक विकास में एक परिवर्तनकारी कदम बताया।

एफओआर एवं सीईआरसी के सचिव हरप्रीत सिंह प्रूथी ने इस अग्रणी साझेदारी की सराहना करते हुए इसे भारत के विनियामक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा, “उत्कृष्टता केंद्र कठोर शोध, क्षमता निर्माण और दूरदर्शी संवाद के माध्यम से विनियामकों, उद्योग विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं को सशक्त बनाने के लिए एक गतिशील मंच के रूप में कार्य करेगा।

एमओयू के बाद, प्रतिनिधिमंडल ने आईआईटी रुड़की में जल एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग का दौरा किया, जो संधारणीय ऊर्जा में अपने शोध और नवाचारों के लिए प्रसिद्ध है। इस दौरे में हाइड्रो, स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण और ग्रिड एकीकरण समाधानों को आगे बढ़ाने में विभाग के योगदान पर प्रकाश डाला गया, जिससे ऊर्जा क्षेत्र में प्रभावशाली, ज्ञान-आधारित हस्तक्षेपों के माध्यम से राष्ट्रीय प्रगति के लिए आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।
