
हरियाणा में हो रहे हैं विधानसभा चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने इस बार ‘ओ-बीजेपी’ वाला दांव चला है। दरअसल इस दांव के चलते भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों ने ‘ओबीसी, ब्राह्मण, जाट और पंजाबी(ओबीजेपी)’ की जातिगत समीकरण वाली सोशल इंजीनियरिंग का ताना-बाना बुना है, जिसके चलते पार्टी हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने का दावा कर रही है।भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में जिन 67 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं, उसमें 46 सीटें ओबीसी, जाट, दलित और ब्राह्मणों के हिस्से आई हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर अपने पुराने जातिगत और सियासी समीकरणों के आधार पर सत्ता वापसी का पूरा रोड मैप तैयार कर रही है। लेकिन यह कितना सफल होगा यह तो चुनाव के परिणाम ही बताएंगे।
हरियाणा में भाजपा का सोशल इंजीनियरिंग का दांव

भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में 67 सीटों पर सोशल इंजीनियरिंग का ओबीसी ब्राह्मण जाट और पंजाबी का दांव चला है। पार्टी के रणनीतिकारों ने अपने पुराने सियासी अनुभव और मिली सत्ता के आधार पर इस बार फिर ओबीसी ब्राह्मण और पंजाबी के साथ जाट समुदाय पर दांव लगाकर सियासी समीकरण साधे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने 67 सीटों में 16 सीटें ओबीसी के हिस्से में दी हैं। जबकि 13 सीटों पर जाट प्रत्याशी सियासी मैदान में उतारे है। पिछले दो चुनावों में ब्राह्मणों के सियासी कांबिनेशन के साथ भाजपा ने सत्ता हासिल की थी। इसी वजह से एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने पहली सूची में नौ ब्राह्मण प्रत्याशियों को सियासी मैदान में उतारा है। जबकि भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों ने 8 पंजाबी समुदाय के लोगों को टिकट देकर सियासत में सोशल इंजीनियरिंग का पूरा खाका खींचा है। इन 46 सीटों के अलावा भारतीय जनता पार्टी ने तेरह आरक्षित सीटों पर दलितों को टिकट दिया है। जबकि पांच सीटें वैश्य समुदाय के हिस्से में आईं हैं। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी ने दो राजपूत और एक सिख को भी अपनी पहली सूची में जगह देकर सियासी मैदान में उतारा है।सीएम नायब सैनी के जरिए पिछड़ों को साधने की तैयारी

हरियाणा के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पंजाबी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मनोहर लाल खट्टर की जगह पर जब ओबीसी समुदाय के नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। तभी तय हो गया था कि भारतीय जनता पार्टी आने वाले विधानसभा के चुनाव में अपने पुराने जातिगत और सियासी आधार के साथ ओबीसी पर बड़ा दांव लगाने जा रही है। सियासी जानकार प्रोफेसर देवेंद्र धीमान कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने इस बार ओबीसी से 16 प्रत्याशी अपनी पहली लिस्ट में घोषित किए हैं। इसमें यादव, गुर्जर, कुम्हार, राजपूत, कश्यप और सैनी को जगह मिली है। यह सभी प्रत्याशी ओबीसी बाहुल्य इलाकों वाली सीटों पर उतारे गए हैं। प्रोफेसर धीमान कहते हैं की पार्टी ने इस बार नायब सिंह सैनी के माध्यम से पिछड़ों को मजबूती से साधने की सियासी पिच तैयार की है।

जाट समुदाय को भी लुभाने की कोशिश

अपनी पहली सूची में ओबीसी के बाद भारतीय जनता पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटें जाट समुदाय को दी है। हालांकि हरियाणा की सियासत में कांग्रेस पार्टी लगातार जाट और दलितों में अपनी मजबूत हिस्सेदारी की बात करती आई है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने उन समीकरण के लिहाज से पहली सूची में 20 फ़ीसदी के करीब 13 टिकट जाटों के हिस्से दे दिए हैं। हालांकि हरियाणा में जाटों की आबादी 29 से 30 फ़ीसदी के करीब अनुमानित है। सियासी जानकारों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने इस बार जिस तरीके से जाटों को साधने की सियासी जुगत भिड़ाई है उससे पार्टी विधानसभा के चुनाव जीतने और सत्ता वापसी में खुद की मजबूत दावेदारी कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक उमेश चौधरी कहते हैं बादली सीट से ओम प्रकाश धनखड़ और नारनौ सीट से कैप्टन अभिमन्यु को टिकट देकर पार्टी ने पिछला चुनाव हारने के बाद भी दोबारा उन पर भरोसा कर जाट समुदाय में एक संदेश दिया है।

9 सीटों पर ब्राह्मणों को दिया टिकट
ओबीसी और जाट समुदाय के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपने परंपरागत वोट बैंक ब्राह्मणों को भी मजबूती से साधा है। भारतीय जनता पार्टी ने ब्राह्मण समुदाय को अपने साथ जोड़ते हुए इस बार 9 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। उमेश चौधरी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ब्राह्मण पंजाबी और ओबीसी के साथ बीते दो चुनावों में मजबूती से सियासी समीकरण सेट करते हुए सत्ता में थी। इस बार भी पार्टी ने अपने इन्हीं समीकरणों के साथ फिर से पूरा सियासी ताना बाना बुना है। भारतीय जनता पार्टी ने हाल में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान दीपेंद्र हुड्डा से चुनाव हारने वाले अरविंद शर्मा को गोहना से प्रत्याशी बनाया है। जबकि हरियाणा के पूर्व मंत्री और ब्राह्मण चेहरे विनोद शर्मा की पत्नी को कालका से टिकट दिया है। जबकि एनसीआर के हिस्से आने वाली गुड़गांव और पलवल की सीट पर भी भारतीय जनता पार्टी ने ब्राह्मण प्रत्याशी देकर सियासी समीकरण साधे हैं। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी ने सफीदों, उचाना कला, बहादुरगढ़, प्रथला, और बल्लभगढ़ से भी ब्राह्मण प्रत्याशी सियासी मैदान में उतारा

है।पंजाबी और वैश्य समुदाय को भी साधा

ओबीसी जाट और ब्राह्मण के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अपने कर वोट बैंक पंजाबी समुदाय से भी 8 प्रत्याशी पहली सूची में सियासी मैदान में दिए हैं। जबकि हरियाणा के सियासत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दलित समुदाय को भी भारतीय जनता पार्टी में मजबूती से साधकर अपनी सियासी पिच को सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचाने की पूरी जुगत लगाई है। हरियाणा में पंजाबी समुदाय संगठन के महासचिव कमल साहनी कहते हैं कि पंजाबी तो भारतीय जनता पार्टी से शुरुआत से ही मजबूती से जुड़ा रहा है। इस बार जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी ने 8 प्रत्याशी पंजाबी समुदाय से उतरे हैं उससे उनकी और उनके समुदाय पर पार्टी का भरोसा दिखता है। पंजाबी समुदाय के साथ भारतीय जनता पार्टी ने 13 आरक्षित सीटों पर दलितों को उतारा है। जबकि पांच सीटों पर पार्टी ने वैश्य समुदाय को टिकट देकर सियासी तारतम्यता बिठाई है