
रुड़की। Ganesh Chaturthi 2024 Puja Timing: 27 वर्ष के बाद इस बार गणेश चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग एवं सिद्ध योग में गणपति विराजेंगे। यह दुर्लभ सिद्धि योग शनिवार एवं चतुर्थी तिथि के संयोग से बन रहा है।ऐसे में इस बार गणेश चतुर्थी सभी के लिए सिद्धिदायक सिद्ध होगी।
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि गणपति को समर्पित होती है। लेकिन माघ मास की कार्तिक मास की तथा भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथियां विशेष महत्व रखती हैं।

दुर्लभ संयोग

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि इस बार गणेश चतुर्थी की खास बात यह है कि 27 वर्ष के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग तथा सिद्ध योग में यह पड़ रही है। इसके अलावा शनिवार का दिन और चतुर्थी तिथि के दुर्लभ संयोग से सिद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है।

उन्होंने बताया कि चतुर्थी तिथि का प्रारंभ छह सितंबर को अपराह्न तीन बजे से होगा। जबकि इसका समापन शनिवार को शाम लगभग पांच बजकर 30 मिनट पर होगा।

ऐसे में शनिवार को गणपति की स्थापना का मुहूर्त सुबह करीब सात बजकर 30 मिनट से लेकर नौ बजे के मध्य और इसके बाद पूर्वांह्न 11 बजे से लेकर दोपहर एक बजकर 30 मिनट के मध्य सबसे उत्तम रहेगा।उन्होंने बताया कि गणेश स्थापना के दौरान सात्विक आहार लें, भूमि शयन करें और नियम संयम का पालन करना चाहिए। इसके अलावा अलग-अलग कामनाओं के लिए विभिन्न वस्तुओं को भगवान गणेश को अर्पण करना चाहिए।

भगवान गणेश की रंग-विरंगी एवं आकर्षक मूर्तियां खरीदी
गणेश चतुर्थी महोत्सव को लेकर शिक्षानगरी में खूब उत्साह देखने को मिल रहा है। शहर में सिविल लाइंस, मेन बाजार, आर्य कन्या के समीप, दिल्ली रोड सहित अन्य स्थानों पर भगवान गणेश की रंग-विरंगी एवं आकर्षक मूर्तियां सजी हुई हैं।

लाल बाग के राजा, कमल के फूल एवं सिंहासन पर विराजमान गणेश, मूषक वाले गणेश, गणपति के बाल स्वरूप समेत कई डिजाइनों में मूर्तियां उपलब्ध हैं। जिनकी कीमत 50 रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक है।

मेन बाजार में रजत मूर्ति केंद्र के सत्यम पटवा ने बताया कि शुक्रवार को काफी संख्या में लोग मूर्तियों की खरीदारी के लिए पहुंचे। वहीं अन्य स्थानों पर भी लोग गणपति की मूर्ति खरीदते हुए नजर आए। शनिवार को शहर में सामूहिक रूप से लगाए गए पांडालों और घर-घर में गणपति को विराजमान किया जाएगा।