रूड़की। भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा ने यूसीसी क़ानून पास होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा के सभी विधायकों का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड सदन ने इतिहास रचा है। इसकी दुनिया भर में सरहाना होगी। उन्होंने कहा कि कानूनी समानता के अधिकार जैसे अच्छे काम की शुरुआत के लिए देवभूमि से बेहतर स्थान कोई नही हो सकता था। विधेयक मातृ शक्ति के सशक्तिकरण और एक समान कानूनी अधिकार देने की संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने वाला है। जो लोग गलतफहमी पैदा करने और भ्रम फैलाने का काम कर रहे थे उन्हें भी अहसास हो गया होगा कि यह कानून हिन्दू-मुस्लिम के वाद-विवाद और बहुसंख्यक अल्पसंख्यक जैसे शब्दों से परे है। इस प्रगतिशील कानून से राज्य के अंदर महिलाओं और बच्चों को वे सभी अधिकार मिल जाएंगे जिनसे उन्हें विगत 75 वर्षों से वंचित रखा गया है। इसका सबसे बड़ा उद्देश्य है महिलाओं और बाल अधिकारों को सुनिश्चित करना है।
यह कानून लोगों के अधिकार छीनने का नहीं बल्कि लोगों को अधिकार देने से सम्बंधित है, लिहाजा इससे किसी के धार्मिक रीति रिवाज और वैवाहिक परंपराओं में कोई बदलाव नहीं होगा। सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होने वाला यह कानून संविधान के भाग-4 के अनुच्छेद 37 और अनुच्छेद 44 के प्रावधानों के अनुसार है। विधायक प्रदीप बत्रा ने कहा है कि उन्हें भी सदन में यूसीसी पर बोलने का अवसर मिला और उन्होंने विपक्षी सदस्यों को समझाया भी कि यह महिलाओं के हित में ही नहीं बल्कि सर्व समाज के हित में है। इस कानून से मात्र उन्हें दिक्कत होने वाली है जो बहु विवाह के द्वारा महिलाओं के अन्याय करने की मंशा रखते हैं या उनको उनके संपत्ति, मुआवजा आदि के जैविक अधिकार से वंचित रखना चाहते हैं । वहीं तलाक के गैर बराबरी के नियमों का लाभ लेते हुए मातृ शक्ति को तलाक का खामियाजा देना, अवैध विवाह, लिव इन रिलेशनशिप आदि के माध्यमों से धोखा देने की प्रवृत्ति, धार्मिक अधिकारों की आड़ में बालिकाओं के बाल विवाह के कृत्यों में संलिप्त रहने वालों के सामने समस्या उत्पन्न होगी। इस कानून को 22 महीनों में 2.33 लाख सुझाव, 43 जन संवाद के सार्वजनिक कार्यक्रम और लगभग 6 दर्जन से अधिक मैराथन बैठक के बाद आज विधानसभा में सर्वसम्मति से पास किया गया है।