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हज़रत साबिर पाक जे 755 वे उर्स के अवसर पर उर्स की आखरी महफ़िल जो 17 वी के नाम से प्रसिद्ध है का आयोजन दरगाह परिसर में किया गया

पिरान कलियर । हज़रत साबिर पाक जे 755 वे उर्स के अवसर पर उर्स की आखरी महफ़िल जो 17 वी के नाम से प्रसिद्ध है का आयोजन दरगाह परिसर में किया गया ।इस महफ़िल में देश भर से आये कव्वालों ने साबिर पाक की शान में कलाम पढ़े। इससे पूर्व शाह ख़ालिक़ मियाँ और मस्जिद के इमाम अब्दुल वाहिद ने साबिर पाक के वालिद हज़रत अब्दुलरहीम अब्दुल सलाम की फातिहा कराई ।सिकरौडा के सज्जादा सयैद मुन्ने मियाँ ने अमन, देश की सलामती और तरक्की की दुआ कराई।कार्यक्रम का संचालन करते हुए उर्स आयोजन समिति के संयोजक व अंतरराष्ट्रीय शायर अफ़ज़ल मंगलोरी ने बताया कि हज़रत साबिर पाक के वालिद (पिता) हज़रत अब्दुर्रहीम अब्दुल सलाम की याद में ये महफ़िल सज्जादा नशीन शाह मंसूर एज़ाज़ के चाचा और वर्तमान सज्जादा शाह अली मंज़र एज़ाज़ के दादा स्वर्गीय शाह नन्हे और विश्व प्रसिद्ध क़व्वाल बुलबुले हिन्द हबीब पेंटर ने 1950 में शुरू की थी जो अभी तक जारी है जिसे शाह नन्हे मियाँ के जानशीन शाह ख़ालिक़ अंजार मियां आयोजित करते हैं ।महफ़िल में दरग़ाह के पगड़ी बन्द धम्मन क़व्वाल ने मनकबत पेश की ।इस अवसर पर शाह यावर मियां, नोमी मियां, सुहेल मियाँ, ग़ाज़ी मियां, सूफी राशिद, हाफिज सऊद ,ए नईम सिद्दीकी, सयैद उस्मान नसीम, रॉव सिकंदर ,मोइन साबरी, अनमोल साबरी, अज्जू साबरी, मुराद साबरी आदि मौजूद रहे।जिन कव्वालों ने 17 वी की महफ़िल में कलाम पेश किए उनमे बुलबुले साबिर पाक गुलाम फ़रीद पेन्टर,दिल्ली के असलम बज़्मी, शब्बू साबरी अम्बेटा,सुलेमान साबरी जौनपुर,गुलाम हुसैन, जावेद जाफरी,आफताब साबरी, आदि के नाम शामिल हैं।

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