रुड़की। खानपुर विधायक उमेश शर्मा की पत्नी सोनिया शर्मा को बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। हालांकि सोनिया शर्मा की ओर से आज एक पत्र यह भी जारी हुआ है कि उन्होंने 17 अगस्त को ही हाईकमान को अपना इस्तीफा भेज दिया था। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि जिलाध्यक्ष को किसी प्रदेश महासचिव को निष्कासित करने का अधिकार नहीं है। बहरहाल सोनिया शर्मा को बहुजन समाज पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। वह लोकसभा टिकट की दावेदार थी और कहा जा रहा था कि वह बहुजन समाज पार्टी के सिंबल पर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी। लेकिन पिछले कुछ दिनों से सोनिया शर्मा के पति खानपुर विधायक उमेश शर्मा की आजाद समाज पार्टी के संयोजक चंद्रशेखर रावण से नजदीकी बढ़ रही थी। जिसकी निरंतर रिपोर्ट बसपा सुप्रीमो मायावती तक पहुंच रही थी। यह बात पूरी तरह स्पष्ट है कि चंद्रशेखर रावण का नजदीकी बसपा में कैसे रह सकता है। वैसे स्थानीय समीकरणों के पर गौर करें तो सोनिया शर्मा का शुरू से ही विरोध रहा। बहुजन समाज पार्टी के हरिद्वार जिले में दो विधायक है । दोनों ही विधायक सोनिया शर्मा के समर्थन में नहीं थे और उन्होंने हमेशा उनके कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी। जिला और प्रदेश संगठन भी सोनिया शर्मा से धीरे-धीरे कर दूरी बना रहा था। क्योंकि पार्टी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को लग रहा था कि खानपुर विधायक उमेश शर्मा और उनकी पत्नी सोनिया शर्मा बहुजन समाज पार्टी के बजाय अपनी राजनीति कर रहे हैं।
बड़ा सवाल यह पत्र 17 तारीख को ही मीडिया को क्यों नहीं जारी किया गया। जब हर छोटी छोटी बात सोशल मीडिया पर वायरल होती है तो यह पत्र भी कल ही वायरल हो जाना चाहिए था। हां यह बात भी अपनी जगह है कि कोई जिलाध्यक्ष प्रदेश महासचिव को निष्कासित नहीं कर सकता। पर यदि हाईकमान से मौखिक या लिखित अनुमति मिल गई हो तो जिलाध्यक्ष अपने क्षेत्र के किसी बड़े पदाधिकारी को प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर सकता है।